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ऐसी बेक़रारी -लेखनी कहानी -25-Jun-2022

तितली भंवरों के संग मंडराती हो
फूलों का रस न चूस मुस्कुराती हो
पवन पौधों को सुना लोरी सुलाए
ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

अपनत्व, एकता की भावना अपार
जिसमें भरा हो बस प्यार ही प्यार
ऐसा खुशनुमा अद्भुत प्रेम संसार
इस दिल में बसाने की बेक़रारी है।

पराएपन के भाव को न मिले स्थान
एक- दूजे में बसती हो सबकी जान
सब मिल गाएँ अतुलित प्रेम गान
ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

धरती का आँचल हो सदा हरा-भरा
चंपा, चमेली को प्रकृति ने हो जड़ा
बंजरता जिसमें जगह ना पाती हो
ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

मदधिम हवा सावन के झूले झुलाए
नदियाँ झूम झूम कर मधुर गान गाएँ
सागर की हिलोरे मन हर्षित कर जाए
 ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

सिंदूरी गालो वाला सूरज करे ठिठोली
अबीर-गुलाल से रंगी दीवानों की टोली
लहराते खेतों को ढके चादर हरी पीली
 ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

खुशियों के हसीन रंगों से खेलें होली
सप्त रंग रंगोली सी हो यहाँ की बोली
नीली चादर ढके अंबर सुंदर सजीला
 ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

माटी की सोंधी खुशबू दिलों में समाए
वतन की धरती की धूल माथे से लगाए
देश हेतु लहू का कतरा कतरा बह जाए
  कुछ ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

विश्वबंधुत्व के भाव का हो बोलबाला
लालच वैमनस्य से हो ना मुँह काला
शिव को न पीना पड़े विष का प्याला
ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

सात सुरों का संगम मिटाए सारे गम
मानव के अंदर जिंदा रहे सदा बचपन
शील, सौम्य, सुंदरता पूर्ण हो हर मन
  ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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5 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

25-Jun-2022 07:16 PM

बहुत खूब

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Swati chourasia

25-Jun-2022 11:26 AM

बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌

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Priyanka06

25-Jun-2022 06:03 AM

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मेम

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